जळगाव (नाजनीन शेख) – शिवसेना शिंदे गुट के पाचोरा के विधायक किशोर आप्पा पाटील इन दिनों पूरे राज्य में सुर्खियों मे है। क्योकी, उन्होंने स्थानिक पत्रकार संदिप महाजन को जिस निन्म स्तर की गाली-गलोच की उस वजह से। जनप्रतिनिधी को हमेशा संयमित होना चाहीये। अगर वे सार्वजनिक पद पर आसीन है, तो उनके व्यवहार, उनके कार्य पर टिप्पण्णी जरुर होगी। लोगोकां वो हक भी है, लेकिन इस घटना में पत्रकार संदिप महाजन ने अपने समाचार में उन पर तो कोई टिप्पणी नही की, फिर भी वे नाराज हुवे, इतना की उस पर उंहोने गालीयों की बौछार लगा दी।
पत्रकार संदिप महाजन ने माननीय मुख्यमंत्री जी के बारे में केवल एक शब्द समाचार मे कहा, उस शब्द को लेकर किशोर आप्पा ने बवांल खडा कर दिया। मुख्यमंत्री जी के कार्य पर इससे भी ज्यादा गहरे शब्दों मे टिप्पणी होती है। वहाँ तो कोई ऐसा नही करता, फिर किशोरआप्पाने ही क्यो बवांल खडा कर दिया? अभद्र शब्दों में गालीयाँ दी ये बात कतई स्वीकृत नही हो सकती। किशोरआप्पा कहते है, की मै बालासाहब का सैनिक हूँ ऐसेही बात करुंगा। लेकिन बालासाहब जी ने जिंदगी में किसी को भी ऐसी निन्म स्तर की गालीयाँ नही दी है।
खुलेआम पत्रकार को धमकी देना, बाद में उसी पत्रकार को मारपीट होना, इन बातों का भले ही किशोरआप्पा समर्थन कर सकते है, लेकिन लोगोंको ये बात स्विकृत नही होगी। लोग कभी भी ऐसी अभद्र भाषा एवम् मारपीट को स्वीकृत नही करते ये इतिहास रहा है।
असल बात क्या है? किशोरआप्पा जैसे अनुभवी राजनेता ऐसे क्यो कर रहे है? क्या वो अपने चुनाव क्षेत्र के बदलते हालात से हाताश है? क्यों की सबसे पहले आज के मुख्यमंत्री और तब के कॅबिनेट मंत्री रह चुके श्री. एकनाथजी शिंदे साहब अपने निजी दौरे पर पाचोरा आये थे। सूत्रों के हवालेसे पता चलता है की शिवसेना से फुट कर भाजपा के साथ जाने का पहला बीज इसी दौरे में बोया गया था। इस राजनैतिक घटनाक्रम में मुख्यमंत्री शिंदेजी के साथ में शुरु से ही रहनेवाले किशोरआप्पा को यकीन था की वो मंत्रीपद की शपथ लेंगे। लेकीन ऐसा नही हुवा । खान्देश सें शिवसेना के कद्दावर नेता कहे जान वाले श्री गुलाबरावजी पाटील, इन्होंने जब शिंदेजी को साथ देने का फैसला किया, उसी वक्त किशोरआप्पा के सपनों पर पानी फेर दिया।
इस पूरी राजनैतिक घटना के बाद लोगो कों क्या, खुद किशोरआप्पा को भी यकीन नही हुवा जब, उनकी ही बहन सौ. वैशालीताई सूर्यवंशी राजनिती में आ गयी। राजनिती के विशेषज्ञ मानते है की, लोकनेता स्व. आर. ओ. तात्या पाटील की बेटी होने से स्वाभाविक है, की उनके उत्तराधिकारी के रुप में किशोरआप्पा की जगह वो ले सकती है। तो आप्पा को सबसे पहले चुनौती घर से ही मिली। विधायक किशोरआप्पा बाहरवालोंसे तो आसानी से लढ सकते है, लेकीन घरवालों से कैसे लढे? ये बात भी उनको बेचैन करने वाली है।
पिछले चुनाव में महज 2,084 वोटों से विजयी रहे किशोरआप्पा को और एक डर सताने लगा है। स्व. आर. ओ. तात्या की वजह से हर चुनाव में राजपूत समाज का एक गुच्छा मतदान शिवसेना को जा रहा था। ज्यों की अब उस गुच्छे में स्व. तात्या की बेटी वैशालीताई भी सेंध लगायेगी। और राजपूत समाज में स्व. आर. ओ. तात्या का स्थान बहुत बडा है। अगर आनेवाले चुनाव में मुकाबला तिकोनी होता है, तो पिछली बार महज दो हजार वोटों सें हारे हुवे श्री. अमोल शिंदे जी को इसका आसानी से लाभ मिल सकता है।
इस पार्श्वभूमी पर और एक खतरा किशोर आप्पा को सता रहा है, की उन्होनें गद्दारी की है ये उन पर विरोधीयों का आरोप है। और इतिहास गवाह है की गद्दारी करने वालों को भविष्य के चुनाव में जनता ने परास्त कर दिया है। साथ ही खोके का आरोप, लगातार दस साल विधायक रहने के कारण चुनाव क्षेत्र में तैयार हुई ॲन्टीइन्कबन्सी भी आनेवाले चुनाव पर असर जरुर डालेगा।
इन्ही हालातों के कारण क्या किशोरआप्पा हाताश हो चुके है? गालीयाँ देते वक्त और उन गालीयों का समर्थन करते वक्त उनकी बॉडी लॅग्वेज साफ बता रहा थी। हाताशी में आदमी हरदम गलतीयाँ करता है, कही ये हाताशी किशोरआप्पा कों आनेवाले चुनाव में भारी न पडे।